
जानिए क्रिकेट में पहली बार हेलमेट का इस्तेमाल कब और क्यों किया गया। क्रिकेट इतिहास का यह अहम मोड़ कैसे खिलाड़ियों की सुरक्षा का प्राथमिक साधन बन गया।
क्रिकेट एक ऐसा खेल है जिसमें पिछले कुछ सालों में कई बड़े और कई छोटे बदलाव देखने को मिले हैं। क्रिकेट के नियमों से लेकर तकनीक तक, इस खेल में हर बदलाव ने खिलाड़ियों के अनुभव को बेहतर बनाया है।
लेकिन अगर सुरक्षा की बात करें तो हेलमेट के आने से खिलाड़ियों को सुरक्षा से समझौता नहीं करना पड़ता। जिसकी वजह से खिलाड़ी अब अपने गेम पर ज़यादा फोकस कर पा रहे हैं।
क्रिकेट में पहली बार हेलमेट कब पहना गया था?
हेलमेट पहली बार क्रिकेट में साल 1978 में पहना गया था जब ग्राहम यालोप नाम के एक ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच में इसे पहली बार पहना था।
इससे पहले बल्लेबाज सिर्फ कैप या हैट पहनकर ही खेलते थे और बिना हेलमेट के वेस्टइंडीज के तेज़ गेंदबाज़ो को खेलते थे। उस समय यह बदलाव कई खिलाड़ियों को थोड़ा अजीब लगा था और कई महान खिलाड़ियों ने इसका मज़ाक भी उड़ाया था।
लेकिन यालोप ने अपनी सुरक्षा को ही प्राथमिकता दी और किसी की बात नहीं सुनी। फिर यालोप को देख कर धीरे-धीरे दूसरे खिलाड़ीयो ने भी इस बदलाव को सुविकार किया।
क्यों क्रिकेट में हेलमेट पहनने की ज़रूरत पड़ी?
70 के दशक में वेस्टइंडीज़ के गेंदबाज़ जैसे माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स और जोएल गार्नर जैसे पेसर बॉलर, बल्लेबाज़ों को बहुत तेज गेंद डालते थे।
उस दौर में बल्लेबाज़ों के पास सिर की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं था, वो बस कैप या हैट पहन कर बैटिंग करने आते थे। कई बार बल्लेबाज़ों को गंभीर चोटें भी आईं थी।
इन्हीं कारणों से खिलाड़ियों और क्रिकेट बोर्ड ने सोचना शुरू किया कि सिर की सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए।
शुरुआत के हेलमेट कैसे होते थे?
शुरुआत में हेलमेट आज के हेलमेट जैसे नहीं होते थे। वे भारी, बड़े और असुविधाजनक होते थे। उनमें सामने की तरफ़ ग्रिल नहीं होती थी और उन्हें पहनना मुश्किल होता था।
इसलिए कई खिलाड़ी ऐसे हेलमेटो से दूर रहना पसंद करते थे। लेकिन जैसे-जैसे तकनीक विकसित हुई, हेलमेट में भी काफी सुधार हुआ।
आज के हेलमेट हल्के व मजबूत होते हैं और खिलाड़ियों के चेहरे की सुरक्षा के लिए उनमें सामने ग्रिल भी होती है। जो पहले नहीं हुआ करती थी।
क्रिकेट बोर्ड की अहम भूमिका
शुरुआत में खिलाड़ियों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य नहीं हुआ करता था। लेकिन जैसे-जैसे क्रिकेट में विकास हुआ और खिलाड़ियों में सुरक्षा को ले कर सजकता बढ़ी और वक़्त के साथ गेंदबाजों की गति में इज़ाफ़ा हुआ, तो कई क्रिकेट बोर्ड ने और ICC ने इसे अनिवार्य कर दिया। आज के आधुनिक खिलाड़ी कभी भी हेलमेट के बिना बल्लेबाजी नहीं करते।
हेलमेट एक आवश्यक परिवर्तन
आज के दौर में हेलमेट सिर्फ़ बल्लेबाज़ों तक सीमित नहीं है। विकेटकीपर और शॉर्ट लेग फील्डर भी हेलमेट को पहनते हैं। यह इस बात का सबूत है कि क्रिकेट में सुरक्षा को कितना महत्व दिया जाता है।
इस से यह पता चलता है की चाहे खिलाड़ी हो या फील्डर हर कोई अपनी सुरक्षा को लेकर हेलमेट को महत्व कितना महत्व देते है।
निष्कर्ष
हेलमेट का इतिहास हमें यह सिखाता है कि चाहे क्रिकेट हो या आम ज़िंदगी में हो, अगर कोई भी बदलाव क्यों न हो, जब वे सुरक्षा से संबंधित हों, तो समय के साथ उन्हें स्वीकार करना ही बुद्धिमानी है।
ग्राहम यालोप के उस एक फैसले ने आज लाखों खिलाड़ियों को सिर की चोटों से बचाया है।
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